मसाले
भारत में मसालों का उत्पादन तथा प्रयोग दोनों अधिक होते हैं मसाले जहाँ भोजन के गन्ध तथा स्वाद देते हैं, वहीं कुछ मसाले भूख बढ़ाने का काम करते हैं। कुछ पाचन संस्था के लिये उपयोगी होते है तो कुछ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। कुछ मसाले भोजन का रंग देकर देखने में आकर्षक बनाते हैं। गीले मसाले. साधारणतः गीले मसाले के रूप में प्याज, लहसुन, अदरक का प्रयोग किया जाता है। जैसे प्याज मसाले के साथ-साथ स्वाद में भी इसका प्रयोग होता है। तथा पराठे में भी डाला जाता है। प्याज. यह भोजन को सुगन्ध तथा स्वाद देता है। प्याज पाचन के लिये अत्यन्त उपयोगी होता है। गर्मी में कच्चे माल का प्रयोग लू लगने से बचाता है। आँखों के लिए अत्यधिक लाभदायक होता है। इसी तरह से हैजा, दस्त. उल्टी होने पर प्याज अत्यधिक लाभ पहुँचाता है। अदरक. अदरक भी अपचयन की शिकायत को दूर करता है। सर्दी खाँसी होने पर अद्रक का रस शहद के साथ ल एने पर आराम देता है। लहसुन . लहसुन रक्त को साफ करता है तथा रक्त संचरण निगमित करता है फेफडे तथा गुर्दे की बीमारी में इसका सेवन लाभदायक होता है। लहसुन छोटी आंत के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है। लहसुन शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। नमक. है इनमें नमक का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। नमक सोडियम क्लोरीन तथा आयोडीन की प्राप्ति का सबसे उत्तम साधन है। नमक खाये गये भोजन को पचाने में सहायता करता है। नमक का आयोडीन शरीर को शक्तिशाली क्रियाशील रखता है। हल्दी . हल्दी भी मसाले का महत्वपूर्ण भाग है। हल्दी मसाले के अतिरिक्त दवा के रूप में प्रयुक्त होता है। हल्दी रक्त को शुद्ध करती है। सूखे मसाले में हल्दी और नमक के अतिरिक्त मिर्ची, काली मिर्च, जीरा, धनिया, सौंफ, लौंग, दालचीनी, हींग, केसर आदि का भी प्रयोग होता है। जितने भी मसाले हैं इनका प्रयोग पाचक बढ़ाने में, वायुनाशक, रंगप्रदान करने में, सुगन्ध देने में, भोजन का स्वाद बढ़ाने। भोजन के अतिरिक्त इन मसाले का प्रयोग अनेक कारणों में इसका प्रयोग किया जाता है।
भारत में मसालों का उत्पादन तथा प्रयोग दोनों अधिक होते हैं मसाले जहाँ भोजन के गन्ध तथा स्वाद देते हैं, वहीं कुछ मसाले भूख बढ़ाने का काम करते हैं। कुछ पाचन संस्था के लिये उपयोगी होते है तो कुछ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। कुछ मसाले भोजन का रंग देकर देखने में आकर्षक बनाते हैं। गीले मसाले. साधारणतः गीले मसाले के रूप में प्याज, लहसुन, अदरक का प्रयोग किया जाता है। जैसे प्याज मसाले के साथ-साथ स्वाद में भी इसका प्रयोग होता है। तथा पराठे में भी डाला जाता है। प्याज. यह भोजन को सुगन्ध तथा स्वाद देता है। प्याज पाचन के लिये अत्यन्त उपयोगी होता है। गर्मी में कच्चे माल का प्रयोग लू लगने से बचाता है। आँखों के लिए अत्यधिक लाभदायक होता है। इसी तरह से हैजा, दस्त. उल्टी होने पर प्याज अत्यधिक लाभ पहुँचाता है। अदरक. अदरक भी अपचयन की शिकायत को दूर करता है। सर्दी खाँसी होने पर अद्रक का रस शहद के साथ ल एने पर आराम देता है। लहसुन . लहसुन रक्त को साफ करता है तथा रक्त संचरण निगमित करता है फेफडे तथा गुर्दे की बीमारी में इसका सेवन लाभदायक होता है। लहसुन छोटी आंत के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है। लहसुन शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। नमक. है इनमें नमक का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। नमक सोडियम क्लोरीन तथा आयोडीन की प्राप्ति का सबसे उत्तम साधन है। नमक खाये गये भोजन को पचाने में सहायता करता है। नमक का आयोडीन शरीर को शक्तिशाली क्रियाशील रखता है। हल्दी . हल्दी भी मसाले का महत्वपूर्ण भाग है। हल्दी मसाले के अतिरिक्त दवा के रूप में प्रयुक्त होता है। हल्दी रक्त को शुद्ध करती है। सूखे मसाले में हल्दी और नमक के अतिरिक्त मिर्ची, काली मिर्च, जीरा, धनिया, सौंफ, लौंग, दालचीनी, हींग, केसर आदि का भी प्रयोग होता है। जितने भी मसाले हैं इनका प्रयोग पाचक बढ़ाने में, वायुनाशक, रंगप्रदान करने में, सुगन्ध देने में, भोजन का स्वाद बढ़ाने। भोजन के अतिरिक्त इन मसाले का प्रयोग अनेक कारणों में इसका प्रयोग किया जाता है।
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