Skip to main content

आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है


 आकाश का नीला  दिखायी देना (Blue Appearance of Sky) - जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमण्डल से गुजरता है तो वायुमण्डल के अणुओं द्वारा प्रकीर्णित हो जाता है।               प्रकीर्णन- का सब्दिक अर्थ है फैलाव वायु मंडल में सात  रंग होते है लाल रंग का (प्रकीर्णन) फैलाव सबसे कम होता है  नीले बैगनी रंग का (प्रकीर्णन फैलाव सबसे ज्यादा होता है इसी कारण हमे आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।वायु के अणुओं का आकार (0) प्रकाश की तरंगदैर्ध्य(10-7 मीटर) की तुलना में बहुत कम होता है अर्थात  प्रकाश का रैले प्रकीर्णन होता है जो  के( अनुक्रमानुपाती होता है। सूर्य के प्रकाश में लाल वर्ण की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक तथा  व इसके बाद नीले वर्ण की तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है। अतः लाल वर्ण का प्रकीर्णन सबसे कम तथा बैंगनी व नीले वर्ण का Difficult सबसे अधिक होता है। जब हम आकाश की ओर देखते हैं तो प्रकीर्णित प्रकाश हमारी आँखों में पहुँचता है। यद्यपि बैंगनी वर्ण की तरंगदैर्ध्य न्यूनतम होने के कारण इसका प्रकीर्णन नीले वर्ण से भी अधिक होता है परन्तु हमारी आँखे बैंगनी वर्ण की तुलना में नीले  के लिये अधिक सुग्राही हैं। इसलिये हमे आकाश नीला  दिखायी देता है। यदि पृथ्वी का वायुमण्डल न हो तो आकाश में प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होगा। अतः हमें आकाश काला दिखायी देगा तथा दिन में तारे दिखायी देगे। यदि हम पृथ्वी से 20 किमी ऊपर जायें तो हमें यही अनुभव होगा। वायु के अणुओं के अतिरिक्त वायुमण्डल में उपस्थित धूल कण तथा जल की सुक्ष्म बूंदे भी प्रकाश को प्रकीर्णित करते यही कारण है कि वर्षा से पहले आई (humid) वातावरण में आकाश हल्का नीला दिखाई देता समय है जबकि सामान्य वातावरण में गहरा नीला। गाँव की तुलना में किसी औद्योगिक शहर में आकाश का रंग भिन्न दिखायी देता है। 

Comments

Popular posts from this blog

अस्थि-विकृति या रिकेट्स (Rickets) किस विटामिन की कमी से होता है

 • 2. विटामिन 'D' की कमी से उत्पन्न रोग  (Diseases Treatment due to Deficiency of Vitamin D)  विटामिन D की पर्याप्त मात्रा   है, अन्यथा हमें विभिन्न प्रकार की शारीरिक व्याधियों का सामना करना पड़ता है.                                                                                                   जैसे अस्थि-विकृति की  गभीर बीमारी माना गया है। विटामिन D की उपस्थिति में फास्फोरसत और कैल्शियम खनिजों का सरलतापूर्वक शोषण होता है, जबकि इसकी अनुपस्थिति में 1 अवशोषण ठीक विधि से नहीं हो पाता और शरीर रोगी हो जाता है। विटामिन D की कमी से उत्पन्न रोगों में अस्थि विकृति या रिकेट्स और आस्टीमलेशिया या मृदुत्लास्थि अति प्रमुख माने गये हैं।                                                                                                                                                         इन रोगों का संक्षिर वर्णन और उपचार निम्नवत् प्रस्तुत है -                                                                                       (1) अस्थि-विकृति या रिकेट्स (Rickets) विटामिन D की कमी से उत्पन

शराब पीने वाले देखे किस शराब में कितना होता है एल्कोहल

                     प्रूफ स्प्रिट (Proof spirit) -  (i) शराबों की तीव्रता (ऐल्कोहॉल %) व्यक्त करने के लिए एक मानक की आवश्यकता होती है, क्योंकि शराब पर कर-निर्धारण उसके ऐल्कोहॉल % के आधार पर होता  है।                                                                                             पेय (Alcoholic beverages) - ये दो प्रकार के होते (i) 1)असुत(Distilled) - अनासुत ऐल्कोहॉलों को आसवित करके प्राप्त होते हैं। इनमें 35-50% एथिल ऐल्कोहॉल होता है।                                                                          कुछ शराबों में ऐल्कोहॉल % निम्नलिखित है-                ब्रान्डी (Brandy) अंगूर 40-50%                                       रम। (Rum) शीरा 40-55%                                           जिन (Gin) मक्का 35-40%                                                                                                            (ii) अनासुत (Undistilled) - इसमें 3-25% ऐल्कोहॉल होता है। करने इनके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं।                                                             

CHIKUNGUNYA किस मच्छर से फैलता है ।और इसके क्या लक्षण है

                              (CHIKUNGUNYA) परिचय (Introduction) चिकनगुनिया विषाणु एक अर्बोविषाणु है जो अल्फा विषाणु (alpha virus) परिवार के अन्तर्गत सम्मिलित है। मानव में इसका प्रवेश एडिस (Aedes) मच्छर के काटने से होता है। यह विषाणु डेंगू रोग के समकक्ष लक्षण वाली बीमारी पैदा करता है। चिकनगुनिया रोग को अफ्रीकन भाषा से लिया गया है, इसका तात्पर्य है जो झुका दें।  एडिस (Aedes) मच्छर मानव शरीर में चिकनगुनिया विषाणु के प्रवेश करने के पश्चात 2 से 4 दिन के बाद इस रोग के लक्षण दर्शित होते हैं। इस रोग के लक्षणों में 39°C (102.2°F) तक का ज्वर हो जाता है। धड़, फिर हाथों और पैरों पर लाल रंग के चकत्ते बन जाते हैं। शरीर के सभी जोड़ों (joints) में असहनीय पीड़ा होती है। रोग के ठीक होने के पश्चात् भी लगभग 1 महीने तक शरीर में दर्द की शिकायत     बनी रहतीहै।                                                                 लक्षण(1)सर्दी के साथ तेज बुखार आना।                            2. सिर दर्द होना।                                                      3. मांसपेशियों में दर्द हेना।