Vitamin 'D'
-विटामिन 'डीयह भी वसा घुलित तथा अस्थि विकृति नाशक महत्वपूर्ण विटामिन है, जिसको भारत जैसे गर्म देशों में प्रचुरता से प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि यह सूर्य की पराकासनी अथवा अल्ट्रा वायलेट किरणों से भी प्राप्त होता है। विटामिन D की खोज अस्थियों की विकृति संबंधी कारणों के खोज के संदर्भ में हुई थी। हेस आगर, विल्स, मेलनवाय तथा मैकालम आदि ने इस विटामिन की खोज में महत्वपूर्ण योगदान किया है। 2. प्राप्ति के स्रोत (Sources) - विटामिन D की प्राप्ति आहार के अतिरिक्त सूर्य की सीधी किरणों को ग्रहण करने से होती है। विटामिन D की प्राप्ति का सर्वोत्तम स्रोत सूर्य की पराकासनी किरणों से ही हैं, जो कि हमारे देश में सर्वत्र प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। हमारे शरीर में चर्म के नीचे वसा में आर्गेस्ट्राल नामक एक पदार्थ होता है। जब त्वचा पर सूर्य की किरणों पड़ती हैं, तो वे उसकी तह में प्रविष्ट होकर आर्गेस्ट्राल को विटामिन D में बदल देती है। आहार द्वारा विटामिन डी की प्राप्ति यकृत का तेल, घी, अंडे की जर्दी, दूध, मक्खन, मांस- मछली आदि से की जा सकती है। दूध में अत्यधिक कम मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है, जबकि सब्जियों में तो न के बराबर मात्रा में उपस्थित होता है। 3कार्य और उपयोगिता (1) इसका सर्वप्रमुख कार्य हमारे शरीर की वृद्धि और विकास में सहायक होना है। विटामिन D की अनुपस्थिति में या कमी से शरीर की स्वाभाविक वृद्धि रुक जाती है। (2) विटामिन D अस्थियों की सुदृढ़ बनाता है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन D न ग्रहण करने पर रिकेट या अस्थि-विकृति रोग हो जाता है। सामान्यतः इस रोग का अर्थात् Rickets का शिकार बच्चे ही होते हैं, फिर भी वयस्कों में इसकी कमी से आस्टोमेलेशिया अथवा मृदुलास्थि रोग होता है। इस रोग में अस्थिरों की सुदृढ़ता कमजोर हो जाती है, जिससे हल्के से आघात के कारण ही अस्थियों के टूटने का भय उत्पन्न हो जाता है (3)विटामिन D कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है। इसकी कमी से आंतों की प्रतिक्रिया अधिक क्षारीय हो जाती है, जिसके कारण हमारे भोजन में उपस्थिति कैल्शियम का अधिकांश अंश अघुलनशील रूप से ही विसर्जित होता है। इससे स्पष्ट है कि इसकी उपस्थिति में कैल्शियम और फास्फोरस का शोषण भलीभांति होता है। • 4. प्रमुख गुण - इसका रंग सफेद तथा आकार रवेदार होता है। विटामिन D गन्धहीन एवं ऐसा रासायनिक यौगिक है, जिसका निर्माण आक्सीजन और हाइड्रोजन के संयोगवश होता है। यह विटामिन तापीय प्रभाव से नष्ट नहीं होता है तथा अम्ल और क्षारीय प्रभाव में भी स्थिर रहता है।
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