सामान्य बायोगैस संयंत्र (Simple biogas plant)
इस संयंत्र में एक बड़ा टैंक या सिलेण्डर (cylinder) 10-15 फुट गहरा होता है। सिलेण्डर का 3/4 भाग भूमिगत रखा जाता है। सिलेण्डर के ऊपर एक ढक्कन रखते हैं। इसमें कृषि के व्यर्थ पदार्थों एवं अपशिष्ट व संग्रहित गोबर को भरा जाता है । इसमें समय-समय पर कुछ जल डाला जाता है। इस संयंत्र में एक निकासद्वार होता है जिसका सम्बन्ध एक 2-5 सेमी० की रबर या लोहे के पाइप से होता है। यह उत्पादित गैस के वितरण अर्थात बायोगैस की आपूर्ति के लिये होता है। 30 सेमी० लम्बा एक दूसरा निकास द्वार कर्दम को समय-समय पर बाहर निकालने के लिए होता है। क्रिया-विधि (Process) : जानवरो के गोबर में मीथेनोबैक्टीरिया की प्रचुर मात्रा होती है। ये जीवाणु बड़ी मात्रा में उपस्थित सेलुलोज युक्त पदार्थों को तोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते है। सूक्ष्मजीवों की सक्रियता के फलस्वरूप मीथेन गैस निर्मित होती है और संयंत्र का ऊपरी ढक्कन ऊपर को उठता है। निर्मित गैस को रसोई में (खाना पकाने में) ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। उपयोग के पश्चात कर्दम निकास द्वार से निकालकर खेतों में उर्वरक (खाद) के रूप में प्रयोग की जाती है। बायोगैस का संगठन (Composition of Biogas) लाभ व हानि की दृष्टि से बायोगैस के संगठन की पर्याप्त जानकारी आवश्यक होती है। बायोगैस के निर्माण में अनेक गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, 5-10% हाइड्रोजन -50-60% मीथेन, 30-40%तथा अल्प मात्रा में ऐथेन प्रोपेन हाइड्रोजन सल्फाइड, नाइट्रोजन एवं अमोनिया भी सम्मिलित होती है। उपरोक्त मिश्रण का प्रमुख घटक मीथेन गैस एक अच्छा ज्वलनशील ईंधन है।
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